वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
१ नवम्बर २०१५
ए. आई. टी, कानपुर
दोहा:
जो कुछ आवे सहज में,
सो मीठा जान I
कडुआ लागे नीम सा,
जा में खींचा-तान
प्रसंग:
ध्यान और सहजता में क्या भेद है?
सहजता का क्या अर्थ है?
न प्रयत्न न प्रार्थना, सहज मिले को क्या माँगना?
अपने अंदर धैर्य कैसे लाए?
हम सहज क्यों नहीं रह पाते?
"जो कुछ आवे सहज में, सो मीठा जान I कडुआ लागे नीम सा, जा में खींचा-तान"II इस दोहे में खींचा-तान का क्या अर्थ है?
संगीत: मिलिंद दाते